Sunday, March 18, 2012

Damlelya Babachi hi kahani


कोमेजून  निजलेली  एक  परी  राणी ,
उतरले  तोंड  डोळा  सुटलेले  पाणी  ||2||

ला  ला  ला  ला  , ला ..ला  ला

रोजचेच  आहे  सारे  काही  आज  नाही
माफी  कशी  मागू  पोरी  मला  तोंड  नाही
झोपेतच  घेतो  तुला  आज  मी   कुशीत
निजतच  तरी  पण  येशील  खुशीत
सांगायची  आहे  माझ्या  सानुल्या  फुला
दमलेल्या  बाबाची  हि  कहाणी  तुला
.....
ला ..ला  ला  ला  ला  , ला ..ला  ला  ला  ला.... ||2||

आट-पाट नगरात  गर्दी  होती भारी
घामाघूम  राजा  करी  लोकलची  वारी  ||2||
रोज  सकाळीस  राजा  निघताना  बोले ,
गोष्ट  सांगायचे  काल  राहुनिया  गेले
जमलेच  नाही  काल  येणे  मला  जरी
आज  परी  येणार  मी  वेळेतच  घरी
स्वप्नातल्या  गावा  मध्ये  मारू  मग  फेरी
खरया खुऱ्या परी  साठी  गोष्टीतली  परी
बांधीन  मी  थकलेल्या  हातांचा  झुला
दमलेल्या  बाबाची  हि  कहाणी  तुला ....

ला ..ला  ला  ला  ला  , ला ..ला  ला  ला  ला.... ||2||

ऑफिसात  उशिरा  मी  असतो  बसून     
भंडावले  डोके  गेले  कामात  बुडून          
तास  तास  जातो  खाली   मानेने निघून 
एक  एक  दिवा  जातो  हळूच  विजून      
अशावेळी  काही  सांगू  काय काय वाटे    
आठवा  सोबत  पाणी  डोळ्यातून  दाटे    
वाटते  कि  उठूनिया  तूज पास  यावे       
तुझ्यासाठी  मी  पुन्हा  लहानगे   व्हावे   
उगाचच  रुसावे   नि  भांडावे  तुझाशी      
चिमुकले  खेळ  काही  मांडावे  तुझाशी 





उधळत खिदळत  बोलशील  काही
बघताना  भान  मला  उरणार  नाही  ||2||
हासुनिया  उगाचच  ओरडेल  काही
दुरूनच  आपल्याला  बघणारी  आई
तरी  सुद्धा  दोघे  जन  दंगा  मांडू  असा
क्षणा  क्षणा  वर  ठेवू  २ खोडकर  ठसा
सांगायची  आहे  माझ्या  सानुल्या  फुला
दमलेल्या  बाबाची  हि  कहाणी  तुला .....


ला ..ला  ला  ला  ला , ला ..ला  ला  ला  ला.... ||2||


दमलेल्या पायाने जेव्हा येईल जांभई
मऊ-मऊ  दूध  भात  भरवेल  आई  
गोष्ट  ऐकायला    मग  येशील  ना  अशी
सावरीच्या   उशीहून  मऊ  माझी  कुशी



कुशी  माझी  सांगत  आहे  ऐक बाळा  काही
सदोदित  जरी  का  मी  तुझ्या पास  नाही
जेऊ 
खाऊ  न्हाऊ  माखू  घालतो  ना  तुला
आई  परी  वेणी -फनी  करतो  ना  तुला  ||2||
तुझ्यासाठी  आई  परी  बाप पण  खुळा
तरी  हि   कधी  गुप  चूप  रडतो  रे  बाळा
सांगायची  आहे  माझ्या  सानुल्या  फुला
दमलेल्या  बाबाची  हि  कहाणी  तुला ....


ला ..ला  ला  ला  ला  , ला ..ला  ला  ला  ला.... ।।२।।

बोळक्या मध्ये  लुक -लुकलेला  तुझा  पहिला  दात
आणि  पहिल्याधाच  घेतलास  जेव्हा तोंडी  मऊ  भात
आई  म्हणण्याआधी  सुद्धा  म्हणली  होतीस  बाबा
रंगात -रांगत घेतलास  जेव्हा  घराचा  तू  ताबा
लुटू -लुटू  उभा  राहत  टाकलस पाउल  पहिलं
दूरचं पाहत  राहिलो  फक्त , जवळ   पहाईचच राहिलं


असा गेलो  आहे  बाळा  पुरा  अडकून
हल्ली  तुला  झोपेतच  पाहतो  दुरून  ||2||
असा  कसा  बाबा  देव  लेकराला  देतो
लवकर  जातो  आणि  उशिरानी  येतो
बालपण  गेले  तुझे  गुज  निसटून
उरे  काय तुझा  माझा  ओंझळी  मधून
जरी  येते  ओठी  तुझा  माझासाठी  हसे
नजरेत  तुझ्या   काही  अनोळखी  दिसे
तुझ्या   जगातून  बाबा  हरवेल  का  ग ?
मोठेपणी  बाबा  तुला  आठवेल  का  ग ? ||2||
सासुराला  जाता  जाता  उंबरठ्या  मध्ये
बाबासाठी  येईल  का  पाणी  डोळ्यामध्ये ?....



ला ..ला  ला  ला  ला  , ला ..ला  ला  ला  ला.... ।।२।।
ला ..ला  ला  ला  ला  , ला ..ला  ला  ला  ला.... ।।२।।

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