Friday, August 21, 2015

Sobane Soyanire | Carry On Maratha | Gashmeer Mahajani & Kashmira Kulkarni


सोबाने  सोयान्निरे......
व्याकूळ  का  होई  मंन  जरा  हे
सारे  आधार  कोसळती
उसवुनी  कारे  फसवुनी गेली 
भेट  ती  ओझरती 
साऱ्या  भितुर  आठवणी  होऊनीया 
आज  वळीव   पाझरती ...

सुना ... तुझ्या विना 
रिता   इथे मी  हूर  तो
सरताना ... हा  पुन्हा ...
दिस  मला  हि सलतो
आभास  हा  कि  श्वास   कुणाचे 
हलकेच  कुजबुजले
व्याकूळ  का  होई  मंन  जरा  हे
सारे  आधार  कोसळती
सोबाने सोयान्निरे    ........

कुठून  अवचित अनोळखी  शी
ओळख  हि  हळवी ...
चाहूल  अजूनी  दे  मला  च्या  पायरीशी  फसवी
सारे  हे  पहारे....  एकदा  तोडून  ये
जग  सारे .... बावरे
तुज  हे  सोडून  ये....
भास  जरासा  इथे  कोणाची  सावली  दरवळते ...

(तुफान  माझे  सावरण्याला
झुळूक  होऊन   ये ) – २
उदान  ला  हा  जीव  जरासा
तोडे  किनारे  आज   ते
आज  सावरू  आवरू  कसे  मी  मला
क्षण  सारे  हूर  हूर  ते
सोबाने सोयान्निरे ..........
सुना   ... तुझ्या   विना 
रिता इथे मी  हूर  तो
सरताना ... हा  पुन्हा ...
दिस  मला  हि सलतो
ऒ .. सनईचे  सूर
उरात  का  हूर 
मंन माझे  अडखळते
व्याकूळ  का  होई  मंन  जरा  हे
सारे  आधार  कोसळती
उसवुनी  कारे  फसवुनी   गेली 
भेट  ती  ओझरती
साऱ्या  भितुर  आठवणी  होऊनी
आज  वळीव   पाझरती ...
सोबाने सोयान्निरे    ........

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